छुट्टी की घोषणा होते ही परेशानी ग्रामीण में ट्रक शेर से केजी 27 हजार बच्चों की किताबें
राजधानी भोपाल में सिर्फ फंडा ग्रामीण बीआरसीसी कार्यालय में ही समय पर किताबें पहुंचाई गई थी| फंदा ग्रामीण बीआरसीसी कार्यालय में पाठक पुस्तक प्रभारी बृजेंद्र सिंह भदौरिया ने बताया कि हमने अपने प्रयासों से समय पर यह पुस्तकें मंगवा रखी थी| शुक्रवार को जैसे ही सी एम ने स्कूल बंद करने की घोषणा की| तब तत्काल प्रशासन की व्यवस्था पर ट्रक मंगवाया गया| कलेक्टर द्वारा नियुक्त स्व सहायक समूहों के वाहन से डीपीसी के मार्गदर्शन में यह किताबें 77 पंचायतों के ढाई सौ ग्रामों में संचालित शालाओं में यह पुस्तकें 3 घंटे में पहुंचा दी गई है|
पुस्तकों में दर्शाया गया है संपूर्ण विषय में पढ़ाई का पैटर्न
पुस्तकों में बच्चे की कक्षा के स्तर में प्रश्न दिए गए हैं| जिसके उत्तर लिखने के लिए पर्याप्त स्थान भी दिया गया है| दिए गए प्रश्नों में पैटर्न भी दर्शाया गया है| प्रश्न मूल पुस्तक में किस पृष्ठ पर किस पैरा पर है| यह भी स्पष्ट किया गया है| कोरोना की तीसरी लहर में विभाग के निर्देश भी दिए थे कि समय पर यह पुस्तक भेजी जाएं, लेकिन आरोप है कि इस दिशा में ध्यान नहीं दिया गया है| अगर समय पर वह किताबें मिलती तो कक्षाओं से ही बच्चों को हटा में यह सामग्री उपलब्ध कराई जा सकती थी| शुक्रवार से जब राज्य सरकार ने स्कूल बंद करने की घोषणा की तो राजधानी सहित अन्य जिलों में के बीआरसीसी कार्यालयों में घबराहट पैदा हो गई| कारण है कि अब स्कूल बंद हो गए हैं| प्रदेश में पहले से पहली से आठवीं तक करीब 80 बच्चे हैं, जिनके हाथों में एट ग्रेड पुस्तकें दी जानी है|
नए सिरे से 1200 मेटर पढ़ाएंगे बच्चों को
फंदा ग्रामीण क्षेत्रों में एट ग्रेड पुस्तकों से बाहर सौ मेंटस बच्चों को पढ़ाएंगे| इसमें पहली से दूसरी तक अभ्यास पुस्तिकाओं के माध्यम से बच्चे पढ़ेंगे| बीआरसीसी कार्यालय का कहना कि तीसरी से आठवीं तक सरल विधियों में बच्चों को पढ़ाया जाएगा| उन्होंने बताया कि 27 हजार 295 बच्चे इन पुस्तकों के माध्यम से पढ़ेंगे| इसमें मेंटर्स के अलावा एक हजार शिक्षक नियमित रूप से अध्यापन कार्य पर शासन के आदेशानुसार ध्यान देंगे|
सरकारी स्कूलों के 40 हजार बच्चे अभी भी है वंचित
इधर राजधानी के फंदा नया शहर और बेरसिया ब्लॉक के 40 बच्चे अभी भी एट ग्रेड पुस्तकों से वंचित है| फंदा शहर बीआरसीसी नागेंद्र पुंडीर ने बताया कि अभी उनके यहां पुस्तकें पहुंच ही नहीं आई है| पुराना शहर बीआरसीसी कार्यालय मैं यहां के फोट की पुस्तकें भेजी गई है| वहीं से यहां पर किताबें आएंगी| बैरसिया में भी किताबें नहीं पहुंची पाई है| इस संबंध में यहां के बीआरसीसी रामकिशन गुर्जर से संपर्क करना चाहा, लेकिन उनका मोबाइल बंद पाया गया|
सभी सरकारी स्कूल के बच्चों की परेशानी बढ़ चुकी है| कोरोना के कारण सभी स्कूल बंद कर दिए गए हैं| लेकिन सवाल यह है, कि बच्चों को पुस्तकें अभी तक प्राप्त ही नहीं हुई है| अब कारण बस सभी छात्र घरों में रहकर बिना पुस्तकों के अध्ययन किस प्रकार से कर पाएंगे| इन हालात को देखते हुए सरकार को जल्द से जल्द कार्यवाही करनी चाहिए| बिना पुस्तकों और अध्ययन के विना बच्चों के जीवन में अधिक परेशानियां आ सकती हैं|