Government School Clild Population Decrease सरकारी स्कूलों में 11 साल में 31 लाख छात्र घटे


11 साल में सरकारी स्कूलों में आठवीं तक के 40.96 विद्यार्थी घटे

प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पिछले 11 साल से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की प्रवेश संख्या में लगातार गिरावट आ रही है| सरकार ने माना है कि इन वर्षों में 40.96 लाख विद्यार्थियों की प्रवेश संख्या घट गई| इसके पीछे सरकार चाइल्ड पापुलेशन में गिरावट आना मान रही है तो आरटीआई के तहत प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश मिलने का उदाहरण भी दे रही है|


प्रवेश संख्या में आ रही कमी से सरकार चिंतित है और इस समस्या को दूर करने के लिए अलग-अलग मॉड्यूल तैयार कर छात्रवार समीक्षा करने का प्लेन तैयार किया जा रहा है| सोमवार को विधानसभा में आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की प्रवेश संख्या जानने के लिए विधायक प्रवीण पाठक ने सरकार से प्रश्न किया| विधायक ने वर्ष 2010 से वर्ष 2020-21 के तक सरकारी स्कूलों में प्रवेशित छात्रों का आंकड़ा मांगा| उन्होंने सवाल किया की दस वर्षों में प्रदेश की जनसंख्या मैं करीब 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है बावजूद सरकारी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश कम क्यों हो रहा है| उन्होंने आगे के लिए सरकार की कार्ययोजना की भी को भी जानना चाहा| विधायक ने सवाल पर लिखित उत्तर देते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि कक्षा आठवीं तक सरकारी स्कूल में वर्ष 2010-11 मैं 105.30 लाख विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था जबकि यह संख्या घटकर 11 साल में वर्ष 2020-21 में 64.34 लाख हो गई|


यह बताएं मुख्य कारणों पर चरचा :- 


  • आरटीई अंतर्गत अशासकीय स्कूलों में निशुल्क प्रवेश मिलना|

  • चाइल्ड पापुलेशन में गिरावट

  • एसएसएसएमआईडी के माध्यम से डाटा का शुद्धीकरण


कभी को दूर करने के कदम उठाए जाएंगे 

  • सभी विद्यार्थियों की चाइल्ड वाइस टैगिंग की जा रही है|


  • नव प्रवेश प्रबंधन, कक्षा अंदर और साला से बाहर बच्चों के लिए अलग-अलग माड्यूल तैयार किए जाएंगे|


  • स्कूल में प्रवेशित एक एक‌ विधार्थी की समीक्षा की जाएगी|


  • 6 से 14 आयु वर्ग के छात्र का साला मैं नामकरण सुनिश्चित किया जाएगा|


सरकार का तर्क जन्म दर में कमी और आरटीई के कारण पड़ा प्रभाव


सरकारी स्कूलों में 11 साल में 31 लाख छात्र घटे, मंत्री बोले चाइल्ड पापुलेशन में गिरावट वजह 


भोपाल,

स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा है कि शासकीय स्कूलों में बच्चों के घटने की संख्या के पीछे चाइल्ड पापुलेशन में गिरावट एक वजह है। इसके अलावा आरटीई के अंतर्गत अशासकीय स्कूलों में निशुल्क प्रवेश, एसएसएसएमआईडी के माध्यम से किए जाने वाले डेटा शुद्धिकरण के चलते भी सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन घटा है। इस कमी को दूर करने के लिए सरकार चाइल्ड वाइस ट्रेकिंग करा रही है। नव प्रवेश प्रबंधन, कक्षांतरण और शाला से बाहर बच्चों के लिए अलग-अलग माड्यूल तैयार कर छात्रवार समीक्षा की जा रही है ताकि 6 से 14 साल तक केसभी छात्रों का शाला में नामांकन तय किया जा सके। 


मंत्री परमार ने ये बातें विधायक प्रवीण पाठक के सवाल के लिखित जवाब में कही। पाठक ने पूछा था कि प्रदेश में वर्ष 2010-11 में सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक पढ़ने वाले बच्चों की संख्या कितनी थी और वर्ष 2020-21 में यह संख्या कितनी है? साथ ही इन दस सालों में छात्रों के ड्रेस, किताबें और मध्यान्ह भोजन पर हुए खर्च की जानकारी भी मांगी गई थी। इसके जवाब में मंत्री परमार ने यह भी बताया कि वर्ष 2010-11 में कक्ष एक से आठ तक विद्यार्थियों की सरकारी स्कूलों में संख्या 105.30 लाख थी जो वर्ष 2020-21 में घटकर 64.3 लाख हो गई है। यानी 30.896 लाख छात्र इन सालों में सरकारी स्कूलों में घटे हैं। उधर निशुल्क गणवेश का खर्च 2010-11 में 39911.57 लाख रुपए था जो 2020-21 में 32408.16 लाख रुपए तक पहुंच गया है। इसी तरह किताबों के वितरण में 16020.69 लाख रुपए 2010-11 में खर्च हो रहे थे जो 2020-21 में 15436.32 लाख रुपए हो गए हैं। इसी तरह मध्यान्ह भोजन पर वर्ष 2010-11 में 91603.53 लाख रुपए खर्च हुए थे जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 161789.46 लाख रुपए तक पहुंचा है। यानी बच्चे घटे, किताबें और गणवेश का खर्च घटा है लेकिन मध्यान्ह भोजन का खर्च बढ़ गया है। 


ड्रेस खरीदी में अनियमितता से इनकार 


एक अन्य सवाल विधायक विनय सक्सेना ने किया जिसमें उन्होंने 30 सितम्बर 21 तक एक साल में सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए खरीदी गई ड्रेस और खरीदी में नियमों का पालन नहीं किए जाने पर अनियमितता का सवाल उठाया। इसके लिखित जवाब में मंत्री परमार ने कहा कि ग्रामीण आजीविका मिशन, राज्य शहरी आजीविका मिशन और महिला व बाल विकास विभाग के अंतर्गत स्व सहायता समूहों से 26662 करोड़ रुपए के एक करोड़ 16 लाख 41 हजार गणवेश खरीदे गए हैं। इस खरीदी में भंडार क्रय एवं सेवा उपार्जन नियम 2015 के अंतर्गत नियम 6 बी में व्यवस्था से छूट प्रदान की गई है। खरीदी में किसी तरह की गड़बड़ी से मंत्री ने इनकार किया है।

Leave a Comment