शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए आई बड़ी खबर / टीचरों पर परीक्षाओं का भार

 

शिक्षकों के लिए एक और चुनाव दूसरी तरफ परीक्षाओं का भार


टीचरों ने कहा सभी कक्षाओं की परीक्षाओं की बात होना चाहिए चुनाव


भोपाल|

आर एन एन इस समय प्रदेशभर मैं शिक्षकों के समझ अनेक चुनौतियां आकर खड़ी हो गई है| एक और उन्हें पंचायत चुनाव संपन्न कराने की जवाबदारी दी गई है, तो दूसरी और बच्चों की परीक्षाओं का संपादन भी करवाना है| इस बीच मांग आई है कि सभी परीक्षाएं संपन्न होने के बाद ही निर्वाचन होना चाहिए|
शिक्षकों का कहना है कि पूर्व से फरवरी में पंचायत चुनाव प्रस्तावित कर दिए गए हैं| इसी समय 10वीं और 12वीं की परीक्षा हैं| जबकि परीक्षाओं के दिसंबर माह से ही बच्चों के रिवीजन पर ध्यान दिया जाना जरूरी रहता है| तब कहीं जनवरी तक वह है बामुश्किल विषय तैयारियां कर सकते हैं| मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता सुभाष शर्मा का कहना है कि इस समय पूरे प्रदेश में शिक्षकों को चुनाव संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम मैं बुलाया जा रहा है| जबकि यह उपयुक्त समय शिक्षकों को कक्षाओं में देना चाहिए| शर्मा का कहना है कि पूर्व में भी यह मांग रखी गई कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखा जाना चाहिए| उन्होंने कहा की हां जब परीक्षाएं संपन्न हो जाए| तब शासन जो भी आदेश जारी करें| शिक्षक उसे मान्य करने को तैयार है| उन्होंने कहा कि इस समय बच्चों की पढ़ाई छोड़ पूरे प्रदेश का अमला चुनाव प्रशिक्षण में व्यस्त है|


बच्चों की चित्र भी करना जरूरी


मध्य प्रदेश शिक्षक संघ के महासचिव राजीव शर्मा का कहना है कि चुनाव एक राष्ट्रीय कार्य है| यह प्रक्रिया भी जरूरी है| तो उससे कहीं ज्यादा आवश्यक बच्चों का भविष्य बनाना भी है| उन्होंने कहा कि सरकार को बच्चों की छुट्टियां होने के बाद ही यह काम करना चाहिए| उन्होंने कहा की सरकार इसके लिए तत्काल निर्वाचन अयोग को पत्र लिखें| इसमें मांग की जाएगी बच्चों की परीक्षाएं संपन्न होने के बाद ही चुनावी प्रक्रिया संपादित करवाई जाए| ताकि शिक्षक भी अपना पूरा योगदान इस कार्य में दे सकें|


विवाह को करना चाहिए इसकी चिंता


मध्यप्रदेश शासकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश दुबे का कहना है कि इसकी चिंता विभाग को करना चाहिए| विभाग जानता है कि शिक्षकों पर काम का कितना भार है| शिक्षक शासन के हर आदेश का पालन करने को तैयार है, लेकिन बच्चों को पढ़ना भी जरूरी है| उन्होंने कहा कि एक ही समय में दो काम करना चुनौतीपूर्ण है| उन्होंने बताया कि प्रदेश के अनेक स्कूल ऐसे हैं, जहां बच्चों की संख्या 2 से लेकर 300 है| वहां संख्या अनुपात में शिक्षकों की कमी है| उसके बाद भी उन्हें अध्यापन के अलावा अन्य कार्य करने पड़ रहे हैं|


विकलांग-बीमारों की चुनाव कार्य में ड्यूटी, आयोग को लिखा पत्र


भोपाल| पंचायत चुनाव में विकलांग और बीमार शासकीय सेवकों की ड्यूटी से कर्मचारी संघ आगे आए हैं| इनका कहना है कि इन कर्मचारियों को चुनाव कार्य में मुक्त रखा जाना चाहिए| क्योंकि पहले भी चुनावों मैं इनकी ड्यूटी लगाई गई| जहां नुकसान सामने आए हैं| इस संबंध में निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा गया है| मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विश्वजीत सिंह सिसोदिया ने बताया प्रदेश के जिलों में चुनाव संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम को सभी कर्मचारियों को बुलाया जा रहा है| जबकि निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट उल्लेखित निर्देश जारी किए हैं उनका पालन नहीं किया जा रहा है| पंचायत चुनाव में जिन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जा रही है| उनका बीमा ₹50 लाख रुपए का किया जाने की जरूरत है| राज निर्वाचन आयोग द्वारा दिए गए निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन किया जाए| निर्देशों के क्रमांक 12-में स्पष्ट उल्लेखित है कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मचारि विकलांग निशक्त गंभीर बीमारी से ग्रस्त कर्मचारियों को निर्वाचन ड्यूटी में से मुक्त रखा जाए| महिला कर्मचारीयों को स्थानीय स्तर पर ही दलों रखा जावे | साथ ही ठंड का प्रकोप देखते देखते हुए मतदान दल की समुचित व्यवस्था मतदान केंद्र पर की जावे| मतदान दलों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उचित सुरक्षा व्यवस्था की जावे| उन्होंने बताया कि इन तमाम समस्याओं को लेकर निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा गया है|



बिना आदेश के बुलाया जा रहा प्रशिक्षण कार्य में अधिकारियों को :-

इधर वरिष्ठ कर्मचारी नेता प्रमोद तिवारी का कहना है कि जिलों में बिना आदेश दिए की शासकीय सबवे को सेवकों को चुनाव संबंधी प्रशिक्षण कार्य में बुलाया जा रहा है| सिर्फ मैसेज के माध्यम से प्रशासनिक अधिकारी उन्हें सूचित कर रहे हैं| कई बार व्यस्तता के कारण कर्मचारी मैसेज नहीं देख पाता है| ऐसी स्थिति में उसे कार्यवाही भी झेलनी पड़ रही है| उन्होंने कहा है कि उन कर्मचारियों को यदि मैसेज किए जा रहे हैं तो उन्हें फोन लगाकर भी सूचित किया जाए | अब यदि कोई सेवक अपने गृह क्षेत्र से बाहर है तो ऐसे में समय पर प्रशिक्षण स्थल पर पहुंचना संभव नहीं है| सरकार को इस व्यवस्था में सुधार करने के लिए निर्देशित करना होगा|


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